Tribute to Gurudev – a poem
Tribute to Gurudev – a poem
गुरु से है ज्ञान मेरा
गुरु से ही मान
और सर्व ज्ञान
गुरु से है शान मेरी
गुरु से है मेरी पहचान
गुरु के इन चरणों को
मै करता हूँ सादर दंडवत प्रणाम
आप ने परम ज्ञान की
राह दिखाया
जीवन को जीना सिखाया
यु तो मैं अंधकार के गलियारो में सीमित रहता
अगर आपसे ये अंजान शहर में मिला ना होता
गुरुजी आप हो दीया
तो हम बाती
हमें तो आप ही पे हैं भरोसा
अब आप ही हैं हमें
गोलोक को ले जाने वाले राही
यू तो आपका वर्णन
कर सकूँ ये मेरी वाणी में
उतना दम नहीं
अगर कुछ गलती हो जाये
माफ करना अपना समझ कर मुझे ठुकराना नहीं
गुरूजी आप का ज्ञान है हमारे लिए
भगवान की मूरत
जिसे हम सब है पूजत ।
Very nice composition!!
Ae Dil maange more
nice poem
very nice
Nice and very true
Nice poem